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दुनिया को अलविदा कह गए भूपेन

लोक संगीत को एक नया आयाम देने वाले प्रसिद्ध गायक और संगीतकार भूपेन हजारिका का शनिवार को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे तथा चार महीनों से अस्पताल में भर्ती थे। उनके शरीर के प्रमुख अंगों के काम बंद कर देने के बाद शनिवार की शाम 4:30 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। 

‘हूम-हूम’ से मिली पहचान

भूपेन ने गायक, संगीतकार, संगीत निर्देशक और फिल्म निर्माता के रूप में खुद को स्थापित किया।
12 वर्ष की उम्र में असमी फिल्म इंद्रमालती में पहली बार गाना गाया।
1944 में बीएचयू से बीए और राजनीति शास्त्र में एमए किया।
1952 में कोलंबिया विवि से पीएचडी की डिग्री हासिल की।
दिल हूम-हूम करे और गंगा बहती हो क्यों गानों ने उन्हें पहचान दिलाई।

फिर मिला सम्मान
भूपेन ने गायक, संगीतकार, संगीत निर्देशक और फिल्म निर्माता के रूप में खुद को स्थापित किया।
12 वर्ष की उम्र में असमी फिल्म इंद्रमालती में पहली बार गाना गाया।
1944 में बीएचयू से बीए और राजनीति शास्त्र में एमए किया।
1952 में कोलंबिया विवि से पीएचडी की डिग्री हासिल की।

दिल हूम-हूम करे और गंगा बहती हो क्यों गानों ने उन्हें पहचान दिलाई।

1975 चमेली मेमसाब में पाश्र्व गायक और संगीतकार का राष्ट्रीय पुरस्कार
1979 ऑल इंडिया क्रिटिक एसोसिऐशन का सर्वश्रेष्ठ लोक कलाकार का अवॉर्ड
1992 दादासाहेब फालके अवॉर्ड
2001 पद्म भूषण से नवाजे गए
2009 असम रत्न, संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड
 
 
 

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